सत्य की खोज में

Sunday, June 6, 2010

मैं और मेरा ब्लॉग "अनंत अन्वेषी"

ब्लॉग और ब्लागिंग के बारे में मैं चार महीने पूर्व तक कुछ नहीं जानता था | इसी साल फरवरी माह में किसी दिन मेरे एक साथी- विजय मिश्रा ने मुझसे कहा -  "सर, आप बहुत सोचते-विचारते हैं, बहुत दिनों से एक किताब लिखने की भी बात कर रहें हैं | एसा क्यों नहीं करते कि अपना एक ब्लॉग बना लें | जो लिखें, उस ब्लॉग पर डाल दें |  इस प्रकार आपकी किताब की पूरी सामग्री तैयार हो जायेगी | "मैंने उनसे पूछा  कि यह ब्लॉग क्या होता है | उन्होंने बताया - "इसके लिए इन्टरनेट पर एक ब्लॉग बनाना होगा | इसके लिए एक नाम रखना होगा |" मैंने कहा - "तो बना दीजिये मेरे नाम से एक ब्लॉग" और उन्होंने तुरन्त बना डाला |

ब्लॉग बन गया, बात आयी-गयी हो गयी | लगभग एक माह बाद मिश्रा जी ने मुझसे कहा कि सर, ब्लॉग के लिए कुछ लिखा नहीं ? मैंने कहा - "हाँ, लिखूंगा लेकिन समय तो मिलना चाहिए |" इस पर वह बोले -"समय तो  निकालना होगा | समय की  परेशानी तो सबको है लेकिन लिखने वाले लिखने के लिए समय निकालते ही हैं |"  मैं इस पर गम्भीरता से विचार करने लगा | आफिस का काम खत्म हुआ तो लिखना शुरू कर दिया | लगभग आधा घंटे बाद मैंने उन्हें और अपने अन्य साथियों को  लेख पढ़ कर सुनाया | सभी साथियों की  प्रतिक्रिया  उत्साह जनक थीं |

मैंने मिश्रा जी से कहा - "मुझे तो कंम्प्यूटर आता नहीं | अब आपको ही इसे टाइप करना होगा | "  टाइप हो गया | मैंने प्रूफ पढ़ दिया | उन्होंने उसे पोस्ट भी कर दिया | इस प्रकार मेरी पहली प्रवष्टि 28 मार्च 2010 को "55 साल की उम्र में पहला जन्मदिन" शीर्षक से प्रकाशित हुई |

अगले  दिन पता चला कि यह प्रवष्टि  "ब्लागवाणी" पर उस दिन की हिट प्रवष्टि  रही, उसे सर्वाधिक पढ़ा गया | यह जान कर बेहद ख़ुशी हुई |

लिखने का सिलसिला तो शुरू हो गया मगर गति नहीं बन पायी | नतीजा यह कि उसके बाद एक माह में एक प्रविष्ट ही भेज पाया | इस प्रकार अभी तक केवल चार प्रवष्टि  ही भेज सका हूँ | लेकिन इस दौरान पाठकों की जो टिप्पणियाँ  मिलीं उससे बहुत उत्साह बढ़ा |

"डिग्री से ज्यादा महत्वपूर्ण है योग्यता हासिल  करना |" शीर्षक से प्रकाशित तीसरी प्रवष्टि  को  "जागरण जंक्शन" ने दो दिन तक रीडर ब्लॉग के होम पेज पर टॉप टेन ब्लाग्स  में पांचवे क्रम पर दिखाया था |

मैंने ताजा प्रवष्टि  1 जून को भेजी | "आई. ए. एस. महिला टापर इवा सहाय से विशेष मुलाकात" शीर्षक से प्रकाशित इस प्रवष्टि  को  ब्लॉग जगत में जो स्वीकार्यता मिली है उससे तो अपार ख़ुशी हो रही है | "चिठ्ठा चर्चा"  ने इस प्रवष्टि  पर चर्चा की और अदभुत समीक्षा प्रकाशित की | इसके लिए मैंने "चिठ्ठा चर्चा" का आभार प्रकट  करते हुए एक धन्यवाद पत्र लिखा जो इस प्रकार था -

आदरणीय भाई,
       सादर अभिवादन |
यह देखकर बड़ी ख़ुशी हुई कि "चिठ्ठा चर्चा" ने मेरी पोस्ट- "आई.ए.एस. महिला टापर इवा सहाय से विशेष मुलाकात" को 1 जून 2010 का सर्वश्रेष्ठ पोस्ट चुना और उसपर समीक्षा प्रकाशित की | मैंने  ब्लॉग की दुनिया में तीन महीने पूर्व ही प्रवेश किया है  और प्रति माह केवल एक पोस्ट ही दे पा रहा हूँ इस अवधि में ब्लॉग जगत  को जो थोड़ा बहुत जाना उससे लगा कि इस दुनिया में शायद गिरोह बाजी भी चल रही है |  ब्लॉग की दुनिया में मैं तो अभी न के बराबर किसी को जानता हूँ और शायद ही कोई मुझे जानता है | ऐसी स्थिति  में मेरी पोस्ट को "चिठ्ठा  चर्चा" ने जो महत्व दिया उससे मेरा वास्तव में उत्साह  बढ़ा है और "चिठ्ठा चर्चा" के प्रति विश्वास  जगा है |
बहुत बहुत धन्यवाद | 
                                                                                             आपका अपना
                                                                                             अनंत अन्वेषी
इसके बाद "चिठ्ठा चर्चा" के संयोजक श्री अनूप शुक्ल जी ने मुझे पत्र भेजा जो इस प्रकार है-

आदरणीय अनंत जी
कल  आपने    चिठ्ठा चर्चा में अपनी प्रतिक्रिया  देते हुए लिखा-
यह देखकर  बहुत ख़ुशी हुई कि "चिठ्ठा चर्चा" ने .........................चिठ्ठा चर्चा के प्रति विश्वास जगा है |
आपकी प्रतिक्रिया का आभारी हूँ | आपकी प्रतिक्रिया के बाद मैंने आपकी दूसरी पोस्ट भी पढ़ी | आपकी बहू की पहल पर आपका जन्मदिन मनाने वाली बात पढ़कर बहुत अच्छा लगा | आपकी उस पोस्ट का जिक्र मैनें आज की चर्चा में किया |
मैं ब्लॉगजगत में पिछले पांच से अधिक वर्षों से हूँ | मैंने देखा है यहाँ कोई गिरोह काम नहीं करता | अंततः लोग यह देखते हैं कि आपकी अभिव्यक्ति कैसी है |
जंहा तक चर्चा की बात है तो मैंने आपकी पोस्ट पढ़ी मुझे बहुत अच्छी लगी तो मैंने अपनी ख़ुशी के लिये इसका जिक्र किया |
चर्चा के सम्बन्ध में मैनें दो पोस्ट लिखी थीं देखियेगा |
आप नियमित लिखें और महीने के स्थान पर सप्ताह में एक पोस्ट लिखें तो अच्छा होगा | आपको लोग जानेंगे आप संवेदनशील हैं और धनात्मक विचार वाले भी |
सादर
अनूप शुक्ल


प्रवष्टियों  पर जो टिप्पणियाँ मिल रही हैं उससे उत्साहवर्धन तो जबरदस्त हो रहा है लेकिन कहीं डर भी लग रहा है कि मैं अनजाने में ऐसे मंच पर आ गया हूँ जंहा एक से एक दिग्गज काम कर रहे हैं |

2 comments:

  1. वाह! बहुत खूब!
    ऐसे ही नियमित लिखते रहिये। अच्छा लगेगा आपको और पाठकों को भी।

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