सत्य की खोज में

Thursday, October 9, 2014

नासी-स्कोपस पुरस्कार विजेता व आई0आई0एम0 के युवा प्रोफेसर डा0 संजय कुमार सिंह से विशेष मुलाकात

                                                                          


 इलाहाबाद। हाल ही में डा0 संजय कुमार सिंह को ‘‘नासी-स्कोपस यंग साइन्टिस्ट अवॉर्ड्स -2014’’ से नवाजा गया है। डा0 सिंह देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट इन्स्टीट्यूट-इण्डियन इन्स्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, लखनऊ (आई0आई0एम0,एल0) के युवा प्रोफेसर हैं। 40 वर्षीय डा0 सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र के मूल निवासी हैं। उन्होंने छोटी उम्र में बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ हासिल करके केवल देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी विशेष पहचान बनायी है। हिन्दी भाषी क्षेत्र में जन्मे व पढ़े-लिखे प्रो0 संजय कुमार सिंह अब लेक्चर देने, सेमिनार में शामिल होने तथा सेमिनार की अध्यक्षता इत्यादि कार्यों के लिए विदेशों में जाते रहते हैं।
    मैंने 2 अक्टूबर 2014 की शाम फोन करके 3 अक्टूबर को मुलाकात करने के लिए जब प्रो0 सिंह से समय मांगा तो पता चला कि वह 4 अक्टूबर से  नीदरलैण्डस, बेल्जियम, फ्रांस और इंग्लैंड की 15 दिन की यात्रा पर हैं। विशेष आग्रह पर उन्होंने मुलाकात के लिए 15-20 मिनट का समय निकाला। मुलाकात के लिए निर्धारित समय पर अर्थात 3 अक्टूबर की शाम 6 बजे मैं लखनऊ में उनके इन्स्टीट्यूट परिसर स्थित आवास पर पहुँच गया। बातचीत शुरू हुई तो पता ही नहीं चला कि कब एक घंटा बीत गया। डा0 सिंह बातचीत में इतने लीन हो गये कि उन्होंने एक बार भी घड़ी नहीं देखी और न ही ऐसा कोई संकेत दिया कि बातचीत में उनका निर्धारित समय पूरा हो चुका है और बातचीत को संक्षिप्त कर शीघ्र समाप्त किया जाये। अलबत्ता मेरा घड़ी पर जरूर एक दो बार ध्यान गया और सोचने लगा कि कहीं मैं उनके साथ ज्यादती तो नहीं कर रहा हूँ। लेकिन मेरे प्रश्नों के जिस रोचक, ज्ञानवर्धक व प्रेरणादायक ढंग से वे उत्तर दे रहे थे उससे मैं भी उनको रोकना नहीं चाहता था। उनकी व्यस्तता को ध्यान में रखते हुए एक घंटे बाद आखिर मैंने ही अपने प्रश्न पूछने बंद किये और वहाँ से विदा ली। वापसी पर रास्ते में सोचता रहा कि डा0 सिंह ने किस तरह अपनी उपलब्धियों के रहस्य, सफलता में किस्मत की भूमिका, जीवन का सपना, देश की प्रमुख समस्या और समाधान तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सम्बन्धी प्रश्नों पर अपने बेबाक विचार रखे जो तरह-तरह से प्रेरणा दे रहे थे।
    उनके व्यक्तित्व को लेकर मन में एक और बात कौतुहल पैदा कर रही थी। दरअसल नासी-स्कोपस पुरस्कार की घोषणा से कुछ दिन पूर्व डा0 सिंह इलाहाबाद स्थित शम्भूनाथ इन्स्टीट्यूट आॅफ इन्जीनियरिंग एण्ड टेक्नोलाॅजी के एच0आर0 कान्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए थे और अपना वक्तव्य दिया था। उस समय उनको पहली बार मंच से बोलते हुए सुना। वह इंग्लिश में जिस स्टाइल से बोल रहे थे, उससे लग रहा था जैसे कोई अंग्रेज अपने विचार रख रहा हो और आज बातचीत से लग रहा था जैसे कोई हिन्दी भाषी अपने ही बीच का व्यक्ति बड़ी आत्मीयता से हिन्दी में बात कर रहा हो।
    यहाँ प्रस्तुत है उस दिलचस्प बातचीत के प्रमुख अंश:-

 

अनन्त अन्वेषी   :    ‘‘नासी-स्कोपस’’ पुरस्कार मिलने पर आपको बहुत-बहुत बधाई।
                                सबसे पहले नासी-स्कोपस पुरस्कार के बारे में हमारे पाठकों के लिए कुछ
                                प्रकाश  डालिए।  
 


प्रो0 संजय कुमार सिंह   : एल्सीवियर (ELSEVIER) दुनिया की एक बहुत पुरानी एवं प्रतिष्ठित
                           जर्नल्स पब्लिशिंग कम्पनी है। स्कोपस (SCOPUS) इसी की एजेन्सी है। यह रिसर्च 

                            के कार्यों को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 2006 से दुनिया भर में पुरस्कार दे रही है। वर्ष 
                           2009 से इसने दि नेशनल एकेडमी आॅफ साइंसेज, इण्डिया (नासी) को अपना पार्टनर 
                           बनाकर हिन्दुस्तान में पुरस्कार देने शुरू किये। वर्ष 2009 में बायोलोजिकल 
                           साइन्सेज, केमिसट्री, अर्थ, ओसियनोग्राफिक एण्ड एनवायरटंल साइन्सेज, 
                           इन्जीनियरिंग, मैथेमेटिक्स एवं फिजिक्स में पुरस्कार देना शुरू हुआ। वर्ष 2010 में 
                          एग्रीकल्चर और वर्ष-2012 में सोशल साइंसेज को भी जोड़ दिया गया।
                          40 वर्ष से कम उम्र के युवक-युवतियों को यह पुरस्कार दुनियाभर के प्रतिष्ठित 
                          जर्नल्स में प्रकाशित उनके रिसर्च पेपर्स की संख्या एवं गुणवत्ता को ध्यान में रखते 
                           हुए दिया जाता है। अब तक कुल 38 वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार विभिन्न विषयों में 
                            दिया गया है। इस वर्ष इस पुरस्कार के लिए 640 से अधिक आवेदन-पत्र प्राप्त हुए थे।
                             इस पुरस्कार में 75,000/- (पिचहत्तर हजार रूपये) की राशि, स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण 
                             पत्र   दिये जाते हैं। वर्ष 2014 के पुरस्कार दिल्ली स्थित ललित  होटल में भारत 
                             सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री जितेन्द्र सिंह के कर  कमलों द्वारा दिये गये।

अनन्त अन्वेषी  :  इस पुरस्कार का नाम ‘‘नासी-स्कोपस यंग साइन्टिस्ट अवार्ड’’ है अर्थात यह  युवा 
                           वैज्ञानिकों को दिया जाता है। आप आई0आई0एम0 में अर्थशास्त्र के  प्रोफेसर हैं, फिर 
                            आपको यह पुरस्कार किस प्रकार मिला ?


प्रो0 संजय कुमार सिंह :  वर्ष-2012 से इसके विषयों में सोशल साइन्सेज को भी जोड़ दिया गया था।
                              अर्थशास्त्र सोशल साइंसेज का एक विषय है। इसलिए मुझे भी यह  पुरस्कार मिल 
                              सका।
अनन्त अन्वेषी    :   इस पुरस्कार को पाकर आप कैसा महसूस कर रहे हैं।





प्रो0 संजय कुमार सिंह :   कोई भी प्रतिष्ठित पुरस्कार पाकर  अच्छा ही लगता है। और अधिक व बेहतर कार्य 
                                 करने की प्रेरणा मिलती है।

  अनन्त अन्वेषी       :   आपके जीवन का सपना क्या है ?
 प्रो0 संजय कुमार सिंह :देखिये, मैं एकेडेमिक्स में हूँ और ऐसा काम करना चाहता हूँ जो देश व समाज 
                          को बेहतर बनाने के काम आए। इसके लिए अधिक से अधिक व अच्छे  से अच्छा काम

                          करना चाहता हूँ। अपने देश में हायर एजूकेशन की क्वालिटी पर बहुत ध्यान देने की 

                          आवश्यकता है। किसी भी देश की उन्नति एडवांस टेक्नोलाॅजी पर निर्भर करती है। 
                           एडवांस टेक्नोलाॅजी का देश में तभी विकास होगा जब हायर एजूकेशन की क्वालिटी 
                           पर ध्यान दिया जायेगा। इसके लिए अधिक से अधिक क्वालिटी का रिसर्च वर्क 
                           जरूरी है। चीन आर्थिक रूप से काफी विकसित हो चुका है। इतना विकास उसने अपने
                           यहाँ मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देकर किया है लेकिन इस विकास की एक सीमा है। 
                           इससे अधिक विकास करना है तो उसे भी अपने यहाँ एडवांस टेक्नोलाॅजी के विकास 
                           पर ध्यान देना होगा। चीन ने अब इस पर काम करना शुरू किया। इसके लिए अब वह
                           अपने यहाँ अन्य देशों के ब्रेन को भी हायर कर रहा है। अपने यहाँ उच्च गुणवत्ता वाले 
                           विश्वविद्यालय स्थापित करने में लगा हुआ है।एडवांस टेक्नोलाॅजी अपनाने से 
                           आर्थिक उन्नति तेजी से होती है। उसका प्रभाव जीवन के अन्य पहलुओं पर भी पड़ता 
                          है। इससे तनाव भी बढ़ता है। जीवन के सभी पहलुओं में सन्तुलन बना रहे, जीवन का 
                           एकांगी विकास न हो इसके लिए सभी विषयों में क्वालिटी का रिचर्स वर्क जरूरी है। 
                           रिसर्च वर्क के माध्यम से हायर एजूकेशन में वैल्यू की वृद्धि करना चाहता हूँ जिससे 
                            हमारी विदेशों पर निर्भरता खत्म हो।

अनन्त अन्वेषी  :  रिसर्च का काम केवल एकेडेमिक्स के लोगों के बीच सिमट कर रह जाता है। यह आम 
                           जनता तक नहीं पहुँच  पाता है। इसलिये इसका जो लाभ देश व  समाज को मिलना 
                           चाहिये वह नही मिल पाता है।

प्रो0 संजय कुमार सिंह :   अब ऐसा नहीं है। अच्छे एकेडेमिक इन्स्टीट्यूट का इन्डस्ट्रीज/काॅरपोरेट्स से
                            कोलाॅबोरेशन है। एकेडेमिक्स में जो रिसर्च होता हैं उस पर इन्डस्ट्रीज / कोरपोरेट्स 
                            ध्यान देते हैं उसका लाभ वे उठाते हैं । एकेडेमिक्स में भी इन्डस्ट्रीज/काॅरपोरेट्स की 
                           आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर रिचर्स होता है। इसके अलावा देश में शासन स्तर
                            पर जिस समय पालिसीज बनती हैं उस समय देश विदेश में उपलब्ध रिसर्च वर्क पर 
                            ध्यान दिया जाता है। इस  प्रकार एकेडेमिक्स में होने वाले रिसर्च वर्क का आम जनता 
                           से भले ही सीधे सम्बन्ध न हो  लेकिन लाभ तो अन्ततः आम जनता को ही मिलता
                           है  ।  


 अनन्त अन्वेषी  : आपका जन्म जौनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ है। वहीं से आपने इण्टरमीडिएट तक की 
                            पढ़ाई हिन्दी माध्यम से पूरी की है। इसके बावजूद आपने छोटी उम्र में बड़ी-बड़ी 
                            उपलब्धियां हासिल कर लीं। बहुत से युवक-युवतियों का सपना होता है कि उनका 
                            एडमिशन देश की प्रतिष्ठित इन्जीनियरिंग संस्थान - आई0आई0टी0 और मैनेजमेंट 
                            संस्थान - आई0आई0एम0 में हो जाए। वे इन संस्थानों से अपनी पढ़ाई पूरी करना 
                           चाहते हैं। आप आई0आई0टी0 कानपुर में कई वर्ष पढ़ा चुके हैं  । आप आई0आई0एम0,
                          लखनऊ में पढ़ा रहे हैं, न केवल पढ़ा रहे है बल्कि उच्च प्रशासनिक पदों पर आसीन हैं। 
                          इस समय आप आई0आई0एम0 लखनऊ में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम्स के चेयरमैन हैं 
                         तथा इकोनोमिक्स के प्रोफेसर हैं। आपके निर्देशन में कई लोग पी0एच0डी0 कर चुके 
                        हैं।  आपकी दो पुस्तकें तथा 37 रिसर्च पेपर्स प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। 
                         नासी-स्कोपस पुरस्कार अपने आप में सिद्ध करता है कि आपका रिसर्च वर्क काफी मात्रा
                          में एवं उच्च स्तर का है। आप लेक्चर देने, सेमिनारों में भाग लेने, सेमिनारों की 
                         अध्यक्षता करने आदि कार्यों के लिये विदेशों में जाते रहते हैं अर्थात अन्य देश 
                        समय-समय पर आपको अपने यहाँ आमन्त्रित करते रहते हैं। इतनी छोटी उम्र में इतनी 
                        सारी उपलब्ध्यिों का रहस्य क्या है।

 प्रो0 संजय कुमार सिंह अपना देश ही गांवों का देश है अर्थात देश में गांवो में बसने वाली आबादी ज्यादा है। 
                         देश के विभिन्न क्षेत्रों में जितने भी महत्वपूर्ण काम हो रहे हैं उन्हें करने वाले 
                         अधिकांशतः मूल रूप से गांवों के रहने वाले हैं । बात यह नहीं है कि आप गांव के रहने
                          वाले हैं या शहर के , आप हिन्दी भाषी हैं  या अंग्रेजीदां  हैं। महत्वपूर्ण यह है कि आप 
                          अपने काम को कितना मन से, लगन से व मेहनत से करते हैं। आप अपने काम को 
                          कितना प्यार करते हैं, आप में अपने काम को अच्छे से अच्छा करने की कितनी इच्छा 
                          हैं। यदि ये सब गुण आप में हैं तो आप निश्चित रूप से सफल होंगे। सफलता के लिए 
                          एक बात और जरूरी है कि आप फोकस बना कर अपने काम को करें। मैंने जब 
                          निश्चित कर लिया कि मुझे एकेडेमिक्स में ही रहना है तो बस मैंने इसी क्षेत्र में फोकस
                         बनाकर अच्छे से अच्छा  काम करना शुरू कर दिया। इसके बाद मैं भटका नहीं।
                        मैंने कभी पुरस्कार पाने के लिए काम नहीं किया। मेरा मानना है कि यदि आप अपने 
                        काम को प्यार करते हैं, उसमें कड़ी मेहनत करते हैं तो फल तो मिलेगा ही। पुरस्कार तो 
                        काम के प्रोसेस के बाई प्रोडक्ट हैं ये भी मिलेंगे ही। यदि पुरस्कार नहीं भी मिलते हैं तो 
                        भी कोई निराशा नहीं होगी क्योंकि आप पुरस्कार के लिए तो काम कर नहीं रहे थे। 
                        आप  यदि अपने काम से प्यार करते हैं तो उसको करते हुए जो खुशी होगी वह 
                     पुरस्कार को पाने पर भी नही होगी। यदि मैं हायर एजूकेशन के क्षेत्र में कुछ वेल्यू 
                     एडीशन कर सका तो मुझे सन्तुष्टी होगी। काम करेंगे तो फल तो मिलेगा ही। यह हो 
                       सकता है कि जिस फल की इच्छा से आप काम करें वह फल न मिले तब आपको 
                      फ्रस्ट्रेशन होगा, इसलिए केवल काम पर ध्यान देना चाहिए।

अनन्त अन्वेषी  : जब कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र में सफल होता है या उसे कोई उपलब्धि हासिल होती है तो
                           उसे आमतौर पर दो ढंग से लिया जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि आदमी को जो
                           भी सफलता मिलती है वह उस व्यक्ति की मेहनत का फल है, जबकि अन्य लोगों का 
                          मानना है कि इसमें व्यक्ति की किस्मत की भी भूमिका होती है। किस्मत मानने वालों
                          का कहना रहता है कि मेहनत तो बहुत से लोग करते हैं लेकिन सफलता उन्हीं लोगों 
                          को  मिलती है जिनकी किस्मत भी साथ देती है। इसमें आप का क्या मानना है ?

प्रो0 संजय कुमार सिंह :  दुनिया बड़ी जटिल है, बड़ी अनसर्टेन (अनिश्चित) है। ऐसे में काम करते हुए कभी 
                     ऐसा  लग सकता है कि यह उपलब्धि किस्मत से मिली है या यह दुर्भाग्य से नहीं मिल सकी। 

                      लेकिन यदि आप अपने काम को निर्बाध रूप से करते रहेगें तो सफलता अवश्य 
                      मिलेगी। कड़ी मेहनत से निरन्तर काम करते रहने से बड़ा कुछ नहीं है। परीक्षा के 
                       दौरान यदि आप का एक्सीडेंट हो गया तो आप इसे दुर्भाग्य कह सकते हैं लेकिन यह 
                     हमेशा नहीं होगा। अतः काम से बड़ा कुछ नहीं है।

अनन्त अन्वेषी :   कुछ लोगों का कहना है कि जीवन में यदि कुछ खास करना चाहते हो तो  बड़े सपने 
                          देखो। आपका क्या मानना है?

प्रो0 संजय कुमार सिंह :  सपने देखना बुरा नहीं है लेकिन सपने देखिये अपनी काबलियत को ध्यान में
                         रखकर। अपनी काबलियत की स्वयं जांच करें। अपने जज स्वयं बनें। यदि
                         काबलियत से अधिक बड़े सपने देखेंगे तो सपने पूरे न होने पर फ्रस्टेट होंगे। इसको
                         दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि महत्वाकांक्षी होना बुरा नहीं है लेकिन व्यक्ति को 
                        अतिमहत्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए। मैं तो फिर यही कहूँगा कि  आप अपने कर्म को 
                        प्यार करें, उसे मन से करें, फल की इच्छा न करें।  इससे आप सफलता-असफलता से
                        विचलित नहीं होंगे। आप देखेंगे कि इस भाव से काम करेंगे तो कभी पीछे नहीं रहेंगे। 
                         किसी बात का मलाल नही होगा कि हमें यह नही मिला या वह नहीं मिला। क्योंकि
                         आप को सच्ची खुशी तो काम करते हुए मिलती ही रहेगी। यदि कोई व्यक्ति अपना 
                         काम करते हुए आपके काम का उल्लेख करे कि आपके अमुक लेख से मैंने मदद ली है 
                        तो उससे बड़ी और सच्ची खुशी  कोई नही हो सकती। कुछ बड़ा बनने के बजाए कुछ
                        बड़ा करने का सपना देखना चाहिए। कुछ बनने से ज्यादा कुछ करने में सच्ची खुशी 
                        मिलती है।

अनन्त अन्वेषी  : आपकी नजर में देश की प्रमुख समस्या कौन सी और उसका समाधान क्या  है?

प्रो0 संजय कुमार सिंह  :  इन्फ्रास्ट्रक्चर। इन्फ्रास्ट्रक्चर में केवल बिजली, सड़क, रेल, एयरपोर्ट, पुल, बांध
                         इत्यादि जैसे फिजीकल इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नही आते बल्कि सोशल और 
                        इन्स्टीट्यूशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर भी आते हैं। सरकार का काम है कि वह देश में
                         इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत व सुव्यवस्थित करें। तभी इन्वेस्टर निवेश करता है, तभी 
                        रोजगार बढेगा, तभी देश उन्नति करेगा। इसके लिए नीतियाँ जनहित में अच्छी बनें। 
                       नेतृत्व प्रभावशाली हो।

अनन्त अन्वेषी :   नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से लोग ऐसा महसूस कर रहे हैं कि अब अच्छे दिन 
                          आने वाले हैं । आपका क्या मानना है?

प्रो0 संजय कुमार सिंह :  मोदी जी के पास विज़न है। उनके थौट प्रोसेस में कन्फ्यूजन नहीं है। खुद बहुत 
                         एक्टिव  हैं। प्रभावशाली हैं। मुझे पूरी आशा है कि मोदी जी के नेतृत्व में देश उन्नति 
                          करेगा। मोदी जी ने दो अक्टूबर से जो स्वच्छता का अभियान चलाया है इसका बहुत 
                          फायदा होगा। समाज में जागरूकता बढ़ेगी। यह भी बहुत महत्वपूर्ण है। 
                                         
                        चित्रों  में  प्रो. संजय कुमार सिंह अपने परिजनों  के साथ





                                                                             भेंटकर्ता व प्रस्तुतकर्ता-अनन्त अन्वेषी